मुझे नहीं पता ये बात तुम्हे कैसे कहनी है,
कभी बोल भी पाऊंगी या नहीं, पाता नहीं,
शायद कल को तुम मुझे अकेला छोड़ दो,
कोई और तुम्हारी मोहब्बत बन जाय,
मुझे ये नहीं पता, पर ये सच है तुमसे लड़ के भी नफरत नहीं कर पाती,
आज के ज़माने की नहीं हूं ना, मेरा इश्क़ आज के ज़माने का नहीं है,
सनकी कहते हो ना मुझे इसलिए इश्क़ टूट के करने मे विश्वास रखती हूं वहीं मैं तुमसे करती हूं।
जब तुम मेरे समोसे खाने पर गुस्से से मुझ पर तीर चलाते हो ना, फिर यू आंखे दिखाते हो मै समोसे छोड़ देती हूं क्युकी वो तुम्हे पसंद नहीं। नाना के कहने पर भी मैंने गोलगप्पे नहीं छोड़े थे तुम्हारे पसंद के लिए छोड़ दिए। कुछ तो बात है ना इश्क़ में मेरे, तुम्हारे लिए?
जो लड़की कल तक किसी की नहीं सुनती थी आज वो तुम्हारी सुनती है, कल तक गुस्से में कुछ भी बोल देने वाली लड़की आज अपने जुबान पे काबू करतीं है। कभी किसी पर विश्वास ना करने वाली लड़की आज किसी पर जान छिड़कती है । क्यों? कुछ तो बात है ना उसके इश्क़ में?
इन सब के बाद भी ऐसे कैसे “आखिरी वक़्त” का सोच लेते हो । पता नहीं मै तुम्हारे जितनी खूबसूरत नहीं हूं, मेरी तो कद भी तुम्हारे जितनी नहीं है। बकवास सोच है ना मेरी पर क्या करू सोच लेती हूं। और कहती नहीं तुमसे क्युकी चाहती नहीं तुम मुझे कमजोर समझो। बस बहुत कुछ कह नहीं पाती ना कह पाई ना कभी बोल पाऊगी ।
To all the beautiful couples out here, May all your dreams and fantasies come true, I'll make sure of it!!!